उर्दू शायरी (Urdu Poetry) के इतिहास में एक से एक शायर पैदा हुए है, जिनकी शख़्सियत या जिनका कलाम किसी परिचय का मुहताज है। उर्दू शायरी में जिन शायरों का नाम आज भी सम्मान के साथ लिया जाता है, उनमे दाग देहलवी का अपना अलग स्थान है। Urdu Poetry, ग़ज़ल के सम्राट दाग देहलवी ने रोमांटिक शायरी को नई ऊंचाई दी। दाग़ का जन्म 25 May, 1831 को दिल्ली में हुआ था । उनके पिता का नाम नवाब शम्सुद्दीन था। दाग़ देहलवीं का बचपन जौंक जैसे उस्ताद की शागिर्दी में बीता। दाग़ की मृत्यु सं 1905 में हैदराबाद में हुई थी.
Urdu Poetry in Hindi
अच्छी सूरत पर ग़ज़ब टूट के आना दिल का
दाग़
याद आता है हमें हाय ज़माना दिल का
निगहे यार ने कि खनाखाराबी ऐसी
न ठिकाना है जिगर का, न ठिकाना दिल का
दे ख़ुदा और जगह सीना ओ पहलू के सिवा
कि बुरे वक्त में हो जाए ठिकाना दिल का
निगह ए शर्म को बेताब किया, काम किया
रंग लाया तेरी आंखों में समाना दिल का
बाद मुद्दत के ये ए दाग़ समझ में आया
वही दाना है, कहा जिसने ने माना दिल का।।
अर्शो कुर्सी पर क्या ख़ुदा मिलता
दाग़
आगे बढ़ते, तो कुछ पता मिलता
इस जफा का जभी मजा मिलता
कोई तुझको अगर बुरा मिलता
मुद्दई बनके दिल बगल में रहा
काश ये दुश्मनों में जा मिलता
आशिकी से मिलेगा ऐ जाहिद
बंदगी से नहीं खुदा मिलता
दोस्तों से तो कुछ न निकला काम
कोई दुश्मन ही काम का मिलता
तुमको ये मिल गया है किस्मत से
दाग – सा वरना दूसरा मिलता।।
आईना ए दिल ने तमाशा किया
दाग़
अपनी जगह में उसे देखा किया
सब ने तो दीदार खुदा का किया
मुझको भी देखा तुझे देखा किया
तूने भी आशिक न किए इतने कत्ल
हमने बहुत खूने तमन्न किया
शिकवे से उसके हुए बदनाम सब
सो में अगर एक ने ऐसा किया
रोजे कयामत वो दमें बाज पुर्स
चश्मे गजब से मुझे देखा किया
मैं सितम ए गैर का शिकवा करूं
और वो सुनकर कहे अच्छा किया
देखते ही मुझको कहां रोजे हश्र
तूने यहां भी हमें रुसवा किया।।
Urdu Poetry Words
आरजू है वफा करे कोई
दाग़
जी न चाहे, तो क्या करें कोई
मर्ज ही गर दवा करे कोई
मरने वाले को क्या करें कोई
कोसते हैं जले हुए क्या-क्या
अपने हक में दुआ करें कोई
चाह से आपको तो नफरत है
मुझ को चाहे खुदा करे कोई
उस गिले को गिला नहीं कहते
गर मज़े का गिला करे कोई
मुंह लगाते ही दाग इतराया
लुत्फ़ फिर जफा करे कोई।।
आशिक के दिल में और तेरी आरजू न हो
दाग़
इस बाग का तू फूल हो, फिर इसमें बू न हो
खटका हुआ है खारे तमन्ना से इस कदर
डरता हूं यास से भी कहीं आरजू न हो
ले तो चला है नासिहे नादान पायामे वस्ल
में शर्त बांधता हूं जो बे आबरू न हो
ए दर्द ए इश्क खाना ए दिल घर तेरा सही
आबादी ये मकान तो जब हो कि तू न हो
इस फिक्र में उनसे न हम बात कर सके
ये गुफ्तगू न हो कहीं, वो गुफ्तगू न हो
इक तेरी दोस्ती में हुई सब से दुश्मनी
गर ये ना हो, तो कोई किसी का अदू न हो।।
Urdu Poetry Love
एक ही रंग है सब में यह तमाशा कैसा
दाग़
कोई कैसा है, कोई चाहने वाला कैसा
रोए हम यास में इस रंग का रोना कैसा
पानी हो हो के बहा खून ए तमन्ना कैसा
अरसा ए हश्र में इंसाफ हमारा कैसा
देखना ये है कि होता है तमाशा कैसा
बख्श दे उस बूते शफ़्फ़ाक़ को ए दावरे हश्र
खून ही मुझ में न था, खून का दावा कैसा
नींद आई है बड़ी रात गए आए हो
सुर्ख आंखों में भला नशशए सहबा कैसा
डूबते हैं अश्क ए शर्म में गैरत वाले
डूब मरने पर ही जब आए, तो दरिया के साथ।।
Daag Dehlvi Best Poetry on Love
तमाम रात वो जागे, वो सोए सारे दिन
दाग़
खबर ही क्या उन्हें, क्यों कर कटे हमारे दिन
खुदा बचाए, कयामत के हैं तुम्हारे दिन
ये प्यारी प्यारी जवानी, ये प्यारे प्यारे दिन|
मुझे गुजरती है इक- इक घड़ी क्यामत की
जो इस तरह से गुजारे, तो क्या गुजारे दिन
किसी के जाते हुए, घर में हुई वो तारिकी
चिराग मैंने जलाए हैं आज सारा दिन
मेरे जिगर पर है दागे फिराक, रोजे फिराक
दिखा रहा है चमकते हुए सितारे दिन
शबे फिराक हो क्यों कर नसीब रोजे फिराक
कि जुल्फे लैला की शब किस तरह सवारे दिन
लड़े जो गैर की इशरत से अपने लैलो निहार
तो रात रात से हो मात, दिन से हारे दिन|
उन्होंने वादा किया आज शब को आने का
खुशी तो जब है, खुदा खैर से गुजारे दिन।।
दर्द बनकर दिल में आना कोई तुमसे सीख जाए
दाग़
जाने आशिक हो के जाना कोई तुमसे सीख जाए
हर सुखन पे रूठ जाना कोई तुमसे सीख जाए
रूठ कर फिर मुस्कुरा ना कोई तुमसे सीख जाए
वस्ल की शब चश्मे ख्वाब आलूदा को मलते उठे
सोते फित्ने को जगाना कोई तुमसे सीख जाए
कोई सीखे खाकसारी की रवीश तो हम सिखाएं
खाक में दिल को मिला ना कोई तुमसे सीख जाए
आते जाते यूं तो देखे हैं हजारों खुशखराम
दिल में आकर दिल से जाना कोई तुमसे सीख जाए
देखकर आईना इतराए कि हम भी कोई हैं
अपनी नजरों समाना कोई तुमसे सीख जाए।।
Urdu Shayari
दिल जो नाकाम हुआ जाता है
दाग़
शौक का काम हुआ जाता है
न मिटाओ किसी आशिक का निशा
नाम बदनाम हुआ जाता है
लुत्फ़ ए इज़ा तलबी क्या कहिए
दर्द आराम हुआ जाता है
रंग लाएगा तेरा रंगे अताब
चेहरा गुलफाम हुआ जाता है
आजकल कसरतें अशशाक से इश्क
शेवा ए आम हुआ जाता है
देखकर मस्त वो काफिर आंखें
ख़ूने इस्लाम हुआ जाता है
‘ दाग ‘ के पास जो जाओ, तो अभी
दूर इल्जाम हुआ जाता है।।
Urdu Poetry for Love
मीटे दाग ए दिल आरजू रह गई
दाग़
चमन उड़ गया और तू रह गई
कहां दिल में अब आरजू रह गई
वो मुद्दत से बनकर लहू रह गई
बहुते शबे गम बलाएं टली
खुदा जाने किस तरह तू रह गई
चले हम तेरी बज्म से तिष्णाकाम
तमन्न ए जाम और सुबू रह गई
बहुत चल बसे यार ए जिंदगी
कोई दिन की मेहमान तू रह गई
कहां से कहां ले गया हमको शौक
मगर रह गई, जुस्तजू रह गई
गया दिल गया ‘ दाग़ ‘ उस बज़्म में
गनीमत हुआ आबरू रह गई।।
Daag Dehlvi Poetry
सब लोग जिधर हैं वो उधर देख रहे हैं
दाग़
हम देखने वालों की नजर देख रहे हैं
कोई तो निकल आएगा सरबाजे मोहब्बत
दिल देख रहे हैं, वो जिगर देख रहे हैं
अब ए निगह शौक़ न रह जाए तमन्ना
इस वक्त वह इधर से उधर देख रहे हैं
कब तक है तुम्हारा सुखने तल्ख़ गवारा
इस ज़हर में है कितना असर देख रहे हैं
कुछ देख रहे हैं दिले बिस्मिल का तड़पना
कुछ गौर से कातिल का हुनर देख रहे हैं
क्यों कुफ्र है दीदार ए सनम हजरत ए वाइज
अल्लाह दिखाता है बशर देख रहे हैं।।
पढ़ पढ़ कर वो दम करते हैं कुछ हाथ पर अपने
हंस हंस के मेरे ज़ख्मी जिगर देख रहे हैं
मैं दाग हूं मरता हूं इधर देखिए मुझको
मुंह फेर कर यह आप किधर देख रहे हैं।।
Urdu Poetry Sad
सुबह तक दिल को दिलासा शबे गम देते हैं
दाग़
जिसको तुम नहीं दे सकते, उसे हम देते हैं
हस्बे ख्वाहिश वह कहां रंजो अलम देते हैं
मांगने वाले को अज़ार भी कम देते हैं
खाक देते हैं, जो यू अहले कर्म देते हैं
सौ बताते हैं, अगर एक दरम देते हैं
वादा करने को तैयार थे सच्चे दिल से
मैंने कमबख्त ये जाना, मुझे दम देते हैं
किसने खुशबू से बसाया है कफन को मेरे
कि दुआएं मुझे मुझे सब अहले करम देते हैं
मुझसे कहते हैं वो परवाने को देखा तूने
देख यूं जलते हैं, इस तरह से दम देते हैं।।