‘द फैमिली मैन सीजन 2’ (The Family Man 2) हाल ही में आया है और लोगों को ये सीजन भी बेहद आया है. इस सीरीज मे श्रीकांत तिवारी का रोल मनोज वाजपेयी ने निभाया है। मनोज के चेहरे से उम्र झलकने लगी है जोकि श्रीकांत के किरदार पर फिट बैठी है। हाल ही में एक्टर ने अपने बारे में कुछ ऐसी बातें बताई, जिसे जान आप भी यकीन नहीं कर पाएंगे.
मनोज बाजपेई फिल्म इंडस्ट्री में एक संजीदा ऐक्टर के रूप में अपनी जगह बना चुके हैं। शूल, पिंजर, सत्या, गैंग्स ऑफ वासेयपुर, अलीगढ़ और राजनीति जैसी फिल्मों में उनके रोल को हमेशा याद किया जाता है। हालांकि उनके शुरुआती दिन काफी संघर्षभरे थे। रिजेक्शन फेस करते-करते उन्होंने आत्महत्या तक की कोशिश की थी। हालांकि उन्होंने धैर्य रखा। ऐसे में चलिए जानते हैं उनके बारे में कुछ खास बातें.
NSD था बचपन का ख्वाब
मनोज बाजपेयी ने ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे को बताया था कि नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) में हिस्सा लेना उनका सपना था, लेकिन यहां से उन्हें एक-दो नहीं बल्कि तीन-तीन बार रिजेक्ट होना पड़ा। मनोज ने बताया कि ‘मेरे सपने टूटने लगे थे और मुझे सुसाइड ही एक रास्ता नजर आ रहा था, लेकिन मेरे दोस्तों ने मुझे बचा लिया। मेरे दोस्त मेरे बगल में सोते थे और मुझे अकेला नहीं छोड़ते थे। वो तब तक मेरे साथ रहे जब तक की मुझे एनएसडी में एंट्री नहीं मिल गई’। मनोज ने एक अन्य इंटरव्यू में ये भी बताया था कि चौथी बार में उन्हें NSD में टीचिंग का जॉब ऑफर मिला था।
जब एक ही दिन में तीन रिजेक्शन मिले…
एक ही दिन में मनोज बाजपेयी को तीन रिजेक्शन मिले। मनोज के मुताबिक लंबे संघर्ष के बाद उन्हें एक टीवी शो में काम करने का मौका मिला पर उन्हें पहले ही टेक में रिजेक्ट कर दिया गया। इसके बाद उन्हें एक फिल्म में छोटा सा रोल मिला पर वहां पहुंचने पर पता चला वो किसी और को दे दिया गया है। बाद में एक डायरेक्टर ने काम देने का वादा करके मुंह चुरा लिया। इस तरह मनोज को तीन बार रिजेक्शन का मुंह देखना पडा़।
देखे हैं बुरे दिन….
मनोज बाजपेयी को ‘द्रोहकाल’ और ‘बैंडिट क्वीन’ जैसी फिल्मों में छोटे-मोटे रोल मिले। इंटरव्यू के दौरान मनोज ने अपनी जिंदगी के बुरे दौर के बारे में बताया था। वह बताते हैं कि उन्हें एक साथ उन्हें परिवार चलाना था। फ्रस्ट्रेशन में आकर उन्होंने खुद को बेचने की कोशिश की थी। उनकी 3,4 फिल्में नहीं चली थीं। मनोज मानते हैं कि उन्होंने बहुत बुरे दिन देखे लेकिन अब सब ठीक है। लोग उन्हें प्यार करते हैं और वह पैसा और फिल्में भी अपने हिसाब से चुन सकते हैं।
फिर जीते तीन तीन नेशनल अवार्ड….
मनोज वाजपेयी ने अपना पहला नेशनल अवार्ड साल 1999 में फिल्म सत्या के लिए जीता था जिसमे उन्होंने एक गैंगस्टर भीकू महात्रे के किरदार निभाया था. उसके बाद साल 2003 में फिल्म पिंजर के लिए मनोज वाजपेयी को स्पेशल जूरी नेशनल अवार्ड मिला. तीसरा नेशनल अवार्ड मनोज वाजपेयी को फिल्म भोंसले के लिए साल 2020 में मिला है. ‘भोंसले’ महाराष्ट्र के रिटायर्ड हवलदार गणपत भोंसले की कहानी है। वह मुंबई के चॉल में रह रहे एक प्रवासी बिहारी लड़की और उसके भाई की सुरक्षा करते हैं। प्रवासियों को मिलने वाली धमकी और परेशान किए जाने की घटना पर यह फिल्म आधारित है। इस कहानी में स्थानीय द्वेष के साथ-साथ प्रवासियों को लेकर होने वाली राजनीति को भी दिखाया गया है।